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संसद का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है। यह 12 अगस्त तक चलेगा। इन 22 दिनों में 19 बैठकें होंगी। मोदी सरकार 3.0 पहला आम बजट 23 जुलाई को पेश करेगी। एक दिन पहले सरकार इकोनॉमिक सर्वे लाएगी। इसके बाद 6 नए बिल पेश किए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर का बजट भी पेश होगा।
इन 22 दिनों में क्या-क्या होगा विस्तार से पढ़ें…
- 22 जुलाई : केंद्र सरकार इकोनॉमिक सर्वे पेश करेगी। इसमें अगले एक साल में देश की अर्थव्यवस्था का अनुमान बताया जाता है। आसनसोल सांसद शत्रुघ्न सिन्हा शपथ लेंगे।
- 23 जुलाई : केंद्र सरकार आम बजट पेश करेगी। निर्मला सीतारमण सातवीं बार बजट पेश करने वाली पहली महिला और दूसरी वित्त मंत्री होंगी।
- 24-26 जुलाई : बजट पर दोनों सदनों में बहस हो सकती है। यह अगले तीन-चार दिनों तक चलने की संभावना है।
- 27-28 जुलाई : शनिवार और रविवार का साप्ताहिक छुट्टी रहेगी।
- 29 जुलाई : संसद में बजट पारित होगा। इनकम टैक्स की छूट की सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए की जा सकती है।
- 30 जुलाई : सरकार 6 नए बिल पेश करेगी। इसमें 90 साल पुराना एयरक्राफ्ट एक्ट बिल-1934 बदला जा सकता है।
- 31 जुलाई : जो पहले पेश होगा, उस पर लोकसभा में बहस होगी। यहां से पास होने पर वह राज्यसभा में भेजा जाएगा।
- 1-12 अगस्त: जम्मू-कश्मीर का बजट पेश होगा। 1 अगस्त से सत्र खत्म होने तक सदन के दोनों सदन में बिल पेश होंगे, बहस होगी और पास होने पर, कानून बनने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
मानसून सत्र क्या होता है
संसद में एक साल में तीन सत्र होते हैं, पहला- बजट सत्र (फरवरी-मार्च), दूसरा- मानसून सत्र (जुलाई-अगस्त) और तीसरा- शीतकालीन सत्र (दिसंबर-जनवरी)।
मानसून सत्र अक्सर सबसे छोटा होता है। जुलाई-अगस्त में देश में मानसून सीजन होता है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है।
वैसे तो दो सत्रों के बीच का 6 महीने से ज्यादा समय नहीं हो सकता है, लेकिन मानसून सत्र बजट सत्र खत्म होने के 2 महीने के बाद ही बुलाया जाता है।
संसद की कार्यवाही पर हर मिनट का खर्च करीब 2.5 लाख रुपए
संसद की एक मिनट की कार्यवाही पर करीब ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं। यानी हर घंटे से हिसाब से यह रकम 1.5 करोड़ रुपए होती है।
यह खर्चा सांसदों को मिलने वाली सैलरी, अलाउंस, संसद सचिवालय पर होने वाले खर्च, सचिवालय स्टाफ की सैलरी और सांसदों की सुविधाओं पर खर्च होता है।
यानी जब-जब हंगामे के कारण संसद स्थगित होती है तो यह नुकसान आम जनता का होता है, क्योंकि वह टैक्स के रूप में लाखों रुपए देती है।
संसदीय एजेंडा तय करने के लिए 14 सांसदों की कमेटी
संसदीय एजेंडा तय करने के लिए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) बनाई है। स्पीकर की अध्यक्षता वाली समिति में सरकार और विपक्ष से 14 सांसद शामिल हैं।इनमें सबसे ज्यादा भाजपा के 6 सांसद- अनुराग ठाकुर, निशिकांत दुबे, बैजयंत पांडा, पीपी चौधरी, संजय जयसवाल , भर्तृहरि महताब।
कांग्रेस के 2 सांसद- गौरव गोगोई, कोडिकुन्निल सुरेश। टीएमसी के 1-सुदीप बंद्योपाध्याय, टीडीपी के 1-लवू श्री कृष्ण देवरायलु, जेडी-यू के 1- दिलेश्वर कामैत, डीएमके के 1- दयानिधि मारन, शिवसेना-यूबीटी के 1- अरविंद सावंत और एसपी के लालजी वर्मा शामिल हैं।
5 मुद्दे जिन पर हंगामा होना तय
1. NEET-UG पेपर लीक : NEET-UG पेपर लीक केस में CBI अब तक 12 गिरफ्तारियां कर चुकी है। 7 राज्यों की पुलिस ने 45 आरोपियों को अरेस्ट किया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर NTA स्टेट, सिटी और सेंटर वाइज रिजल्ट डिक्लेयर कर चुकी है। लेकिन विपक्ष, पिछले सत्र की तरह इस बार भी इस मुद्दे पर हंगामा कर सकता है।
2. अग्निवीर (बेरोजगारी) : मुंबई में एक इवेंट में पीएम मोदी ने कहा था- पिछले 4 साल में 8 करोड़ को रोजगार मिला है। इस डेटा पर विपक्ष सरकार को घेर सकता है। उधर, सरकार के सहयोगी दल JDU के प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी अग्निवीर पर बदलाव की मांग की है। हालांकि, सरकार ने 12 जुलाई 2024 को पूर्व अग्निवीरों के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की भर्ती में 10 फीसदी सीटें आरक्षित करने का फैसला किया। वहीं, 17 जुलाई को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अग्निवीरों को राज्य की सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया है।
3. जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमला : 2021 के बाद से अकेले जम्मू में 22 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। इन 3 साल में 47 जवान शहीद हुए और 23 नागरिकों की मौत हुई। सरकार बनने के बाद से जून और जुलाई में जम्मू कश्मीर के राजौरी, डोडा, रियासी और कठुआ में 7 आतंकी हमले हो चुके हैं। इनमें 11 जवान भी शहीद हुए हैं। विपक्ष के पास यह भी बड़ा मुद्दा होगा।
4. मणिपुर हिंसा : राहुल गांधी पिछले सत्र के खत्म होने के बाद मणिपुर दौरे पर गए थे। राहुल लगातार मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री पर निशाना साध रहे हैं। वहां हिंसा की घटनाएं फिर बढ़ गई हैं। पीएम का मणिपुर न जाना और हिंसा रोकने के लिए कदम न उठाना विपक्ष के पास हंगामे का ट्रंप कार्ड होगा।
5. ट्रेन हादसे : रेलवे ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में देशभर में कम-से-कम 5000 KM रूट पर कवच लगाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन जून 2024 तक भी सिर्फ 1500 KM ट्रैक पर ही लग पाया है। हाल ही में हुए कंचनजंगा और डिब्रूगढ़ ट्रेन हादसे, जिनमें करीब 1 दर्जन लोगों की मौत हुई है, विपक्ष को दोबारा हंगामे का मौका दे सकता है।
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