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पिछले कई सालों की तरह इस बार भी इनकम टैक्स में कुछ ख़ास होने वाला है, यही आस हर कोई लगाए हुए हैं।
दरअसल, आम बजट और उसकी भाषा इतनी विकट और इतनी उलझाऊ होती है कि आम लोगों को इनकम टैक्स की राहत या उसमें बढ़ोतरी ही साफ- साफ़ समझ में आती है। बाक़ी हिस्सा किसी की समझ में सीधे- सीधे नहीं आता।
यही वजह है कि बजट का समय आते ही हर कोई सिर्फ़ एक ही आस लगाने लगता है कि इस बार इन्कम टैक्स में राहत ज़रूर मिलेगी। चूँकि यह आस केवल सेलरीड व्यक्ति ही लगाता है इसलिए इसका हल्ला भी ज़्यादा होता है।
दरअसल, सेलरीड व्यक्ति ही है जो ईमानदारी से इनकम टैक्स चुकाता है क्योंकि उसे टैक्स कटकर ही सेलेरी मिलती है। हालाँकि लगता नहीं है कि हर बार की तरह इस बार भी इनकम टैक्स में कुछ ख़ास राहत मिलने वाली है।
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दरअसल, सरकार मानती है कि अगर करदाता ही अपना कर्तव्य नहीं निभाएगा तो विकास कार्य कैसे होंगे? सही है, लेकिन टैक्स कलेक्शन को बढ़ाने के लिए राहत देकर उन लोगों को टैक्स देने के लिए आकर्षित किया जा सकता है जो अब तक सक्षम होते हुए भी इस परिधि से बाहर बने हुए हैं।
जो अलग- अलग और नए- नए तरीक़े अपनाकर टैक्स की चोरी कर रहे हैं उनके खिलाफ कोई सख़्त मॉनिटरिंग बैठाकर भी आवक बढ़ाई जा सकती है। अगर ऐसा किया जाता है तो जोलोग ईमानदारी से वर्षों से टैक्स चुकाते आ रहे हैं, उन्हें राहत देकर खुश किया जा सकता है।
वैसे सरकार ये सब तरीक़े भली भाँति जानती है लेकिन राहत देकर आई लक्ष्मी कौन ठुकराना चाहता है भला? अगर इस बार इन्कम टैक्स में कुछ किया जाता है तो संभावना सिर्फ़ इतनी है कि जो नई टैक्स प्रणाली है, उसे थोड़ा आकर्षक बना दिया जाएगा ताकि बचत वाली पुरानी टैक्स प्रणाली को पीछे धकेला जा सके और ज़्यादा से ज़्यादा आयकरदाताओं को नई प्रणाली अपनाने के लिए आकर्षित किया जा सके।
इतना ज़रूर है कि किसानों को लुभाने के लिए इस बार के बजट में उनके लिए कई नए उपाय किए जासकते हैं। किसान सम्मान निधि को भी छह हज़ार रुपए से बढ़ाकर आठ या दस हज़ार रुपए सालाना किया जा सकता है।