गुजरात में चांदीपुरा वायरस के दो और मामले आए:  सूरत में पहली बार संदिग्ध मामला, अब तक 27 बच्चों की मौत; मरीजों की संख्या 73 हुई – Gujarat News

गुजरात में चांदीपुरा वायरस के दो और मामले आए: सूरत में पहली बार संदिग्ध मामला, अब तक 27 बच्चों की मौत; मरीजों की संख्या 73 हुई – Gujarat News

रविवार को सूरत और राजकोट में दो बच्चों में वायरस के लक्षण दिखाई दिए।

गुजरात में चांदीपुरा वायरस से संक्रमित मरीजों के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। रविवार को सूरत में पहला संदिग्ध मामला सामने आया है। यहां एक स्लम एरिया में रहने वाली 11 साल की बच्ची को तेज बुखार और उल्टियां होने पर आईसीयू में भर्ती कराया गया है। र

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इस तरह चांदीपुरा वायरस के मामलों की कुल संख्या 73 हो गई है, जबकि मरने वालों की संख्या 27 पर पहुंच गई है। फिलहाल 41 मरीज अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। हाल ही में वडोदरा के सयाजी अस्पताल में चांदीपुरा वायरस से एक और 4 साल के बच्चे की मौत हो गई थी।

सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया
अभी तक इस वायरस का असर ग्रामीण इलाकों में देखा जाता था, लेकिन अब यह अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट और सूरत जैसे बड़े शहरों में भी देखने को मिल रहा है। चांदीपुरा वायरस को लेकर सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर 104 शुरू किया है, जिसमें इस वायरस के सभी मामलों में इलाज की जानकारी उपलब्ध होगी।

सूरत में परिजन बच्ची को लेकर अस्पताल पहुंचे।

350 के मुकाबले केवल 30 बाल रोग विशेषज्ञ
चांदीपुरा वायरस गुजरात के गांवों और शहरी इलाकों को अपनी चपेट में ले रहा है। यह वायरस खासतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है। वहीं, इस वक्त गुजरात में बच्चों के डॉक्टर माने जाने वाले पीडियाट्रिक डॉक्टरों की क्या हालत है इसका चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।

ग्रामीण स्वास्थ्य की स्थिति पर भारत सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2022 तक गुजरात में 344 बाल रोग विशेषज्ञ (बच्चों के डॉक्टर) की आवश्यकता थी। इसके लिए 76 सीटें स्वीकृत की गई थीं। इनमें से केवल 30 डॉक्टरों के पद भरे गए हैं और अभी भी 46 पद खाली हैं।

आश्चर्य की बात यह है कि आवश्यकता के अनुरूप 344 बाल रोग विशेषज्ञ होने चाहिए। यानी जरूरत की तुलना में मौजूद डॉक्टरों की संख्या घटा दें तो 314 डॉक्टर हैं। रिपोर्ट में यह तथ्य भी सामने आया है कि सामान्य चिकित्सकों और विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ-साथ कर्मचारियों की भी भारी कमी है।

जामनगर जिले में 5 संदिग्ध मामलों में एक की मौत

राजकोट में 7 साल के बच्चे को इलाज के लिए शिफ्ट किया गया।

राजकोट में 7 साल के बच्चे को इलाज के लिए शिफ्ट किया गया।

जामनगर जिले में अब तक चांदीपुरा वायरस के कुल 5 संदिग्ध मामले पाए गए और नमूने जांच के लिए भेजे गए। इस दौरान एक बच्चे की मौत हो गई है। इन पांच बच्चों में से दो बच्चों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है और मृतक बच्चे समेत 3 और बच्चों की रिपोर्ट आनी बाकी है। ध्रोल के जाएवा के चांदीपुरा और जामजोधपुर के सेठवाडाला के बच्चों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। फिलहाल दोनों बच्चों की तबीयत स्थिर है, जबकि अन्य दो मरीज वेंटिलेटर पर हैं।

अब जांच पुणे की बजाय गांधीनगर में होगी
शुरुआत में वायरस के नमूनों को परीक्षण के लिए पुणे भेजना पड़ता था और उस रिपोर्ट को प्राप्त करने में अधिक समय लगता था। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग चांदीपुरा वायरस के सैंपल की जांच जीबीआरसी (गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर) में करेगा। सैंपल को पुणे नहीं भेजना पड़ेगा और जांच गांधीनगर में ही हो जाएगी, जिससे रिपोर्ट जल्दी मिल जाएगी।

चांदीपुरा वायरस क्या है

इस वायरस का पहला मामला 1965 में महाराष्ट्र के नागपुर जिले के चांदीपुर में सामने आया था। इस वायरस से महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाके प्रभावित हुए थे। वायरस से रोगी मस्तिष्क ज्वर (एन्सेफेलाइटिस) का शिकार हो जाता है। वायरस मच्छरों और मक्खियों के काटने से फैलता है।

​​​​​​​वायरस किसे संक्रमित कर सकता है
चांदीपुरा वायरस खासतौर पर बच्चों को अपना निशाना बनाता है। यह मुख्य रूप से 9 महीने से 14 साल के बच्चों को प्रभावित करता है। संक्रमण तब फैलता है, जब वायरस मक्खी या मच्छर के काटने पर उनके लार के जरिए रक्त तक पहुंच जाता है। इससे बच्चों के तेज बुखार और सिरदर्द होता है। गुजरात में हर साल इस वायरस के मामले सामने आते हैं।

घरों में दवा का छिड़काव करते स्वास्थ्य कर्मी।

घरों में दवा का छिड़काव करते स्वास्थ्य कर्मी।

चांदीपुरा वायरस के लक्षण

  • बच्चे को तेज बुखार
  • दस्त, उल्टियां
  • मांसपेशियों में खिंचाव
  • कमजोरी और बेहोशी

बचाव के लिए क्या करें

  • जहां तक ​​संभव हो बच्चों को घर के बाहर कम कपड़ों में न खेलने दें
  • बच्चों को मच्छरदानियों में सुलाएं।
  • सैंड फ्लाई मक्खियों को घर में घुसने से रोकने के उपाय करें।
  • मच्छरों और मक्खियों को रोकने लिए घर के बाहर कीटनाशकों का छिड़काव करें।
  • उपरोक्त लक्षण दिखाई देने पर मरीज को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाएं।

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