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इजराइली हमले में 3 हूती विद्रोहियों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, हमले की गंभीरता को देखते हुए यह आंकड़ा बढ़ने की आशंका है।
हमास के खिलाफ जंग के 9 महीने बाद इजराइल ने शनिवार को पहली बार यमन में हूती विद्रोहियों के कई ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। न्यूज एजेंसी AFP ने बताया कि इजराइल ने हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले होदैदा पोर्ट और पावर स्टेशन को निशाना बनाया।
यमन के न्यूज चैनल अलमसीरा टीवी ने बताया कि हमले के बाद एक फ्यूल डिपो में भीषण आग लग गई। सोशल मीडिया पर कई फोटो और वीडियो सामने आए हैं, जिसमें धुएं का गुबार उठते देखा गया है। इस हमले में 3 हूती विद्रोहियों की मौत हुई है, जबकि 87 लोग घायल हुए हैं। हालांकि, हमले की गंभीरता को देखते हुए यह आंकड़ा बढ़ने की आशंका है।
इजराइली ने तेल अवीव पर हमले के जवाब में यमन पर अटैक किया है। दरअसल, हूती विद्रोहियों ने शुक्रवार (19 जुलाई) को इजराइली शहर तेल अवीव पर ड्रोन हमला किया था। इसमें एक 50 साल के इजराइली की मौत हो गई थी। वहीं करीब 10 लोग घायल हुए थे।
इजराइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने यमन पर हमले के बाद कहा, “इजराइली नागरिकों के खून की कीमत होती है और अगर इजराइलियों पर हमला हुआ, तो परिणाम लेबनान और गाजा के समान होगा।” गैलेंट ने कहा, “होदैदा में जो आग इस समय जल रही है, वह पूरे मध्य पूर्व में देखी जा रही है और इसका मतलब साफ है।”
इजराइल के हमले के बाद यमन में फ्यूल डिपो पर आग लग गई।
तेल अवीव पर हूती ड्रोन हमले के बाद क्षतिग्रस्त इमारतों में से एक के अंदर मौजूद फायर फाइटर।
हूती सेना प्रवक्ता ने हमले का जवाब देने की कसम खाई
हूती प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुस्सलाम ने कहा कि इजराइल ने उसके नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि क्रूर इजराइली हमले का मकसद यमन के लोगों के दर्द को बढ़ाना और गाजा को अपना समर्थन बंद करने के लिए दबाव डालना था।
हूती सेना के प्रवक्ता येह्या साड़ी ने हमले का जवाब देने की कसम खाई है। उन्होंने कहा कि हूती इजराइल पर हमला करने में संकोच नहीं करेंगे। साड़ी ने कहा कि तेल अवीव अभी भी सुरक्षित नहीं है।हमने दुश्मन के साथ लंबे युद्ध के लिए तैयारी की है।
इजराइल ने कहा- यह तेल अवीव पर ड्रोन हमला का जवाब
इजराइल ने बताया कि उसके लड़ाकू विमानों ने हूती विद्रोहियों के सैन्य ठिकानों पर हमला किया है। इजराइली प्रवक्ता डैनियल हगारी ने कहा कि ये हमले शुक्रवार (19 जुलाई) को तेल अवीव पर ड्रोन अटैक और पिछले साल अक्टूबर से अब तक इजराइल में दागी गईं यमन की करीब 200 मिसाइलों का बदला है।
इजराइली अधिकारियों ने बताया कि उनकी तरफ से यमन पर पहली बार हमला किया गया है। इजराइली अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने होदैदा को इसलिए निशाना बनाया क्योंकि यह ईरानी हथियारों के यमन पहुंचने का मुख्य रास्ता है। इजराइली सेना के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनका लक्ष्य ऐसे इन्फ्रास्ट्रक्चर थे जिसका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधि के लिए किया जा रहा था।
हमास के साथ युद्ध के बाद से इजराइल पर हमले कर रहा यमन
यमनी विद्रोहियों ने पिछले साल 7 अक्टूबर को गाजा में हमास के साथ इजराइल के युद्ध की शुरुआत के बाद से लगातार उस पर हमले किए हैं। यमन ने ड्रोन और मिसाइलों से इजराइल को कई बार निशाना बनाया है। इनमें से अधिकांश हमलों को इजराइली सेना या उसके सहयोगियों ने रोक दिया गया है।
हालांकि, इजराइल शुक्रवार (19 जुलाई) को तेल अवीव में ड्रोन हमला नहीं रोक सका। हूतियों ने बताया कि उसने नए ड्रोन से हमला किया था, जो दुश्मन के सिस्टम को भेद सकता है।
हूतियों ने लाल सागर में अमेरिकी ठिकानों और कॉमर्शियल जहाजों पर भी हमले किए हैं। इनका मकसद इजराइल पहुंच रहे जहाजों को रोकना है। हूतियों का कहना है कि वे ये हमले फिलिस्तीनियों को अपने समर्थन के तौर पर करते हैं। ब्रिटेन और अमेरिका, दोनों ने जहाजों पर हमलों का जवाब यमन में हूती ठिकानों पर हमला करके दिया था। हालांकि, इजराइल इन हमलों में कभी शामिल नहीं हुआ।
कौन हैं हूती विद्रोही
- हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया ‘जैदी’ समुदाय का एक हथियारबंद समूह है। इस समुदाय ने 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इस समूह का गठन किया था। उनका नाम उनके अभियान के संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा है। वे खुद को ‘अंसार अल्लाह’ यानी ईश्वर के साथी भी कहते हैं।
- 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक पर हुए हमले में हूती विद्रोहियों ने नारा दिया था, “ईश्वर महान है। अमेरिका का खात्मा हो, इजराइल का खात्मा हो। यहूदियों का विनाश हो और इस्लाम की विजय हो।” उन्होंने खुद को हमास और हिज्बुल्लाह के साथ मिलकर इजराइल, अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ ईरान के नेतृत्व वाली ‘प्रतिरोध की धुरी’ का हिस्सा बताया था।
- साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडिल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
- इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
- अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सऊदी अरब भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सऊदी अरब का।
- देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।